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णमो अरिहंताणं | णमो सिद्धाणं | णमो आयरियाणं | णमो उवज्झायणं | णमो लोए सव्व साहूणं | एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पावप्प णासणो मंगलाणं च सव्वेसिं, पडमम हवई मंगलं |
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नरक

नरक गति नामकर्म के उदय से नरक में जन्म लेना नरक गति कहलाती है। इस गति में जन्म लेने वाले जीव नारकी कहलाते है। इस प्रथ्वी के नीचे एक-एक कर नीचे नीचे सात नरक है। वहां घनघोर अंधका रहता है। खूब सर्दी और खूब ही गर्मी रहती है। तीव्र दुर्गन्ध सदा ही बनी रहती है। वहां रहने वाले जेव दुर्गंधित मिट्टी का भोजन करते है, दिन रात मार काट में लगे रहते है, वहां अन्न का एक कण और पानी की एक बूँद भी नहीं मिलती। १० हजार वर्ष से लेकर ३३ सागर पर्यंत भयंकर दुःख भोगने पड़ते है। आयु पूर्ण हुए बिना नार्कियों का मरण भी नहीं होता। सप्तव्यसनों के सेवन से, मकार (मद्य मांस मधु) आदि भक्षण से तथा पञ्च पापों में लिट रहने तथा अन्य अनेक दुष्कर्म करने से जीव नरक में जाता है। यदि आप भी पाप करेंगे तो आपको भी नरक जाना पड़ेगा, अतः कभी पाप नहीं करने चाहिए।

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