धर्म अंतर्यात्रा करता है जबकि विज्ञान बहिर्यात्रा करता है। धर्म अहिंसामय होता है जबकि विज्ञान की इमारत हिंसा की नीव पर खड़ी होती है। धर्म चेतन से परिचय कराता है जबकि विज्ञान जड़ पदार्थों से परिचय कराता है। धर्म के पास दिशा है, पर गति नहीं जबकि विज्ञान के पास गति है, दिशा नहीं। इन दोनों में अंतर होने के बाद भी मानव जीवन में धर्म और विज्ञान दोनों की आवश्यकता है। अपने अपने स्थान पर दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। इतना अवश्य है की अकेला विज्ञान विनाशकारी सिद्ध हो सकता है अतः विज्ञान पर धर्म का अंकुश जरुरी है। धर्म द्वारा नियंत्रित विज्ञान जीवन में सर्वतोमुखी विकास करने में समर्थ होता है।