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णमो अरिहंताणं | णमो सिद्धाणं | णमो आयरियाणं | णमो उवज्झायणं | णमो लोए सव्व साहूणं | एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पावप्प णासणो मंगलाणं च सव्वेसिं, पडमम हवई मंगलं |
MAHAVEER BHAGWAN
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प्र.1: चौबीसवे तीर्थंकर का नाम बताइए?

उ.1: श्री महावीर भगवान्

प्र.2: श्री महावीर भगवान् को कौन से चिन्ह से जाना जाता हैं?

उ.2: सिंह चिन्ह से

प्र.3: श्री महावीर भगवान् के पिता का क्या नाम था?

उ.3: राजा सिद्धार्थ

प्र.4: श्री महावीर भगवान् की माता का क्या नाम था?

उ.4: महारानी त्रिशला देवी

प्र.5: महारानी त्रिशला देवी का दूसरा नाम क्या था?

उ.5: महारानी प्रियकारिणी देवी

प्र.6: श्री महावीर भगवान् के बचपन का नाम क्या था?

उ.6: वीर एवं वर्धमान

प्र.7: श्री महावीर भगवान् के एनी कौन कौन से नाम हैं?

उ.7: अन्य पांच नाम हैं- १.वीर, २. अतिवीर, ३.सन्मति, ४. महावीर, ५.वर्धमान

प्र.8: श्री महावीर बागवान का सन्मति नाम कैसे पड़ा?

उ.8: एक समय जब महावीर भगवान् पालने में झूल रहे थे संजय विजय चारण ऋषियों को तत्वों में कुछ शंका थी भगवान् के दर्शन करते ही उनकी शंका दूर हो गई अतः उन्होंने उनका नाम सन्मति रख दिया

प्र.9: श्री महावीर भगवान् के बचपन का नाम वर्धमान कैसे पड़ा?

उ.9: एक बार महावीर भगवान को बचपन में शुक्ल पक्ष के चन्द्रमा के सामने बढ़ते देखकर इंद्र ने उनका नाम वर्धमान रखा |

प्र.10: श्री महावीर भगवान् का नाम महावीर कैसे पड़ा?

उ.10: एक बार महावीर भगवान बच्चो के साथ खेल रहे थे संगम नामक देव नाग का रूप बनाकर पेड़ से लिपट गया सारे बच्चे भाग गए लेकिन महावीर भगवान् ने उसके फण पर चढ़ कर क्रीड़ा की | भक्तिवश उस देव ने प्रकट होकर उनका नाम महावीर रख दिया |

प्र.11: श्री महावीर भगवान् का नाम अतिवीर कैसे पड़ा?

उ.11: राजा श्री सिद्धार्थ के पागल हाथी को वश में करने से उनका नाम अति वीर पड़ा
प्र.12: श्री महावीर भगवान् का नाम मह-तिवीर कैसे पड़ा?

उ.12: भगवान् श्री महावीर उज्जैयिनी नगरी अतिमुक्तक नाम शमशान में प्रतिमायोग से विराजमान थे महादेव नामक रूद्र ने उपसर्ग करके परीक्षा की भगवान् अपने ध्यान से चलायमान नहीं हुए तब उसने उनका नाम मह-तिविर रखा

प्र.13: श्री महावीर भगवान् के जीवन का कथन कहाँ से प्रारंभ होता हैं?

उ.13: पुरुरवा नामक भील की पर्याय से

प्र.14: पुरुरवा भील कौन था और उसने क्या किया?

उ.14: पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी में वह भीलो का राजा था उसने सागर सेन मुनिराज से मद्य-मांस मधु का त्याग व्रत लिया था जिसे जीवन पर्यंत पालन किया

प्र.15: निगोद से निकल कर महावीर भगवान् का जीव कहाँ गया?

उ.15: अनेको भाव धारण किये जो इस प्रकार है-

एक हज़ार आक वृक्ष के भव, अस्सी हज़ार सीप के भव, बीस हज़ार नीम वृक्ष के भव, नब्बे हज़ार केलि वृक्ष के भव, तीन हज़ार बार चन्दन वृक्ष के भव, पांच करोड़ बार कनेर वृक्ष के भव, साठ हज़ार बार वेश्या के भव,पांच करोड़ बार शिकारी के भव, बीस करोड़ बार हाथी के भव, साठ करोड़ बार हाथी के भव, साठ करोड़ बार गधे के भव, तीस करोड़ बार कुत्ते के भव, साठ करोड़ बार नपुंसक के भव, बीस करोड़ बार स्त्री के भव, नब्बे लाख बार धोबी के भव, आठ करोड़ बार घोड़े के भव, बीस करोड़ बार बिल्ली के भव, साठ लाह बार गर्भ पात से मरण, अस्सी लाख बार देव पर्याय को प्राप्त किया |

प्र.16: श्री महावीर भगवान् का गर्भ कल्याणक किस तिथि को हुआ था?

उ.16: आषाढ़ कृष्णा छट को

प्र.17: श्री महावीर भगवान् का गर्भ कल्याणक किस नक्षत्र में हुआ था?

उ.17: उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में

प्र.18: श्री महावीर भगवान् कहा से गर्भ में आये थे?

उ.18: पुश्पोत्तर विमान से

प्र.19: श्री महावीर भगवान् का जन्म किस तिथि में हुआ था?

उ.19: चैत्र शुक्ला तेरस को

प्र.20: श्री महावीर भगवान् का जन्म किस नक्षत्र में हुआ था?

उ.20: उत्तराफाल्गुनि नक्षत्र में


 
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