घातिया और अघातिया कर्मों का नाश करने वाली सभी आत्माएं भगवान् होती है। जिन महान आत्माओं के द्वारा तीर्थ की प्रवृत्ति चलती है उन्हें तीर्थंकर कहा जाता है। प्रत्येक तीर्थंकर भगवान् है किन्तु भगवान् आत्मा तीर्थंकर नहीं होती। तीर्थंकरों के पंचकल्याणक भी होते है।