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णमो अरिहंताणं | णमो सिद्धाणं | णमो आयरियाणं | णमो उवज्झायणं | णमो लोए सव्व साहूणं | एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पावप्प णासणो मंगलाणं च सव्वेसिं, पडमम हवई मंगलं |
NAMOKAR KI MAHIMA
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प्र .21: चक्रवर्ती सुभौम ने णमोकार मन्त्र का अपमान किस प्रकार किया ?

उ .21: चक्रवर्ती सुभौम ने णमोकार मन्त्र को लिखकर उसके ऊपर पैर रखकर णमोकार मन्त्र का अपमान किया |

प्र .22: णमोकार मन्त्र के अपमान का चक्रवर्ती को क्या फल मिला ?

उ .22: व्यंतर देव ने चक्रवर्ती को लवण समुद्र में डूबा दिया जिससे चक्रवर्ती मरकर सातवे नरक चले गए |

प्र .23: णमोकार मन्त्र के नाम से कोनसा व्रत किया जाता हैं ?

उ .23: णमोकार मन्त्र के नाम से णमोकार पैन्तीसी का व्रत किया जाता है क्योंकि णमोकार मन्त्र में ३५ (35) अक्षर होते हैं |

प्र .24: णमोकार पैन्तीसी व्रत में कितने उपवास किये जाते हैं ?

उ .24: णमोकार पैन्तीसी व्रत में ३५ (35) उपवास किये जाते हैं |

प्र .25: णमोकार व्रत के कौन - सी तिथि के कितने उपवास किये जाते हैं ?

उ .25: इस व्रत में पंचमी के पांच , सप्तमी के सात , नवमी के नौ तथा चौदस के चौदह उपवास किये जाते हैं |

प्र .26: णमोकार व्रत कब प्रारंभ किया जाता हैं ?

उ .26: ये व्रत किसी भी मास की पंचमी , सप्तमी , नवमी या चौदस को प्रारंभ किया जा सकता हैं |

प्र .27: णमोकार व्रत का उद्यापन किस प्रकार करना चाहिए ?

उ .27: इस व्रत के उद्यापन में पंच परमेष्ठी विधान करके मंदिर में ३५ (35) प्रकार के ३५ - ३५ या इतना ना हो सके तो ३५ वस्तुयें मंदिर में दान देना चाहिए |

प्र .28: संस्कृत में णमोकार मन्त्र का स्तोत्र किसने लिखा हैं ?

उ .28: आचार्य श्री उमास्वामी जी ने |

प्र .29: णमोकार मन्त्र के अन्य स्तोत्र के नाम बताइए ?

उ .29: णमोकार मन्त्र के अन्य स्तोत्र का नाम हैं वज्र पंजर स्तोत्र |

प्र .30: णमोकार मन्त्र नवग्रह अरिष्ट निवारक किस प्रकार हैं ?

उ .30: णमोकार मन्त्र के पांचो पद मिलकर नवग्रह अरिष्ट का नाश करते हैं |

प्र .31: नवग्रह क्या है ?

उ .31: ज्योतिषी देवो के नौ विमानों को नवग्रह कहा है |

प्र .32: ये नवग्रह कौन कौन से है ?

उ .32: १ . सूर्य

२ . चन्द्र

३ . मंगल

४ . बुध

५ . गुरु

६ . शुक्र

७ . शनि

८ . राहू

८ . केतु

प्र .33: तीन कम नौ करोड़ मुनिराजो की गणना किस अपेक्षा से है ?

उ .33: यह गणना १४ (14) गुणस्थानों की अपेक्षा से है |

प्र .34: तीन कम नौ करोड़ मुनिराजो में कौन कौन से परमेष्ठी आते है ?

उ .34: तीन कम नौ करोड़ मुनिराजो में अरिहंत , आचार्य , उपाध्याय और साधू ये चार परमेष्ठी आते है |

प्र .35: णमोकार मन्त्र को कौन सी भाषा में लिपिबद्ध किया गया है ?

उ .35: णमोकार मन्त्र को प्राकृत भाषा में लिपिबद्ध किया गया है |

प्र .36: णमोकार मन्त्र को लिपिबद्ध करने का महान कार्य किसने किया था ?

उ .36: णमोकार मन्त्र को लिपिबद्ध करने का महान कार्य श्रीधरसेनाचार्य के शिष्य श्री भूतवली पुष्पदंत आचार्य ने किया था |

प्र .37: कौन से ग्रन्थ में सर्वप्रथम णमोकार मन्त्र को मंगलाचरण के रूप में लिखा गया है ?

उ .37: श्री भूतवली पुष्पदंत आचार्य ने षटखंडागम ग्रन्थ में णमोकार मन्त्र को मंगलाचरण के रूप में लिखा है |

प्र .38: णमोकार मन्त्र को जैन धर्म का प्राण क्यों माना जाता है ?

उ .38: णमोकार मन्त्र पांच पर्मेष्ठियो का वाचक होने से जैन धर्म का प्राण माना जाता है क्योंकि जैन धर्म पञ्च पर्मेष्ठियो के बिना नहीं हो सकता है और पञ्च परमेष्ठी जैन के सिवा अन्यत्र नहीं होते है |

प्र .39: णमोकार मन्त्र का आगम में क्या महातम्य बताया गया है ?

उ .39: आगम में णमोकार मन्त्र का महातम्य निम्न प्रकार प्रतिपादित किया गया है -

एसो पंच णमोक्कारो , सव्व पावप्प णासणो |
मंगलाणं च सव्वेसिं , पडमम हवई मंगलं ||

प्र .40: णमोकार मन्त्र के महातम्य का हिंदी आशय बताइए ?

उ .40: ये पञ्च नमस्कार मन्त्र सभी पापो का नाश करने वाला है और सभी मंगलो में पहला मंगल है |


 
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