प्र .41: मंगल किसे कहते है ?
उ .41: जो पापो को गलाए तथा पुण्य को प्रदान करे उसे मंगल कहते है |
प्र .42: पाप किसे कहते है ?
उ .42: जो आत्मा का पतन करे नरक निगोद में गिराए उसे पाप कहते है |
प्र .43: पाप कौन कौन से है ?
उ .43: हिंसा , झूठ , चोरी , कुशील , परिग्रह ये पांच पाप होते है |
प्र .44: णमोकार मन्त्र का छोटा पंचाक्षरी मन्त्र कौन सा है ?
उ .44: णमोकार मन्त्र का छोटा पंचाक्षरी मन्त्र असिआउसा है |
प्र .45: णमोकार मन्त्र से असिआउसा कैसे बनता है ?
उ .45: पांचो पर्मेष्ठियो के नाम के प्रथमाक्षर लेने से अ सि आ उ सा बनता है जेसे अरिहंत परमेष्ठी का अ , सिद्ध परमेष्ठी का सि , आचार्य परमेष्ठी का आ , उपाध्याय परमेष्ठी का उ तथा साधू परमेष्ठी का सा लेने से असिआउसा बनता है |
प्र .46: णमोकार मन्त्र की ज्ञान के रूप में क्या विशेषता है ?
उ .46: णमोकार मन्त्र में सम्पूर्ण द्वादशांग श्रुत समाहित माना गया है |
प्र .47: णमोकार मन्त्र में द्वादशांग किस प्रकार समाहित है ?
उ .47: णमोकार मन्त्र के चौसठ वर्णों को अलग अलग लिख कर प्रत्येक के ऊपर दो का अंक रखकर गुणा करने से प्राप्त हुई संख्या में एक घटाने से द्वादशांग के श्रुत अक्षर प्राप्त हो जाते है |
प्र .48: वर्तमान में णमोकार मन्त्र के प्रभाव से व्यंतर बाधाओं को कौन से मुनि राज दूर कर रहे है ?
उ .48: परम पूज्य वालाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी महाराज |
प्र .49: पूज्य वालाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी को ये सिद्धि कहा से प्राप्त हुई ?
उ .49: अतिशय क्षेत्र चाँदखेडी में भगवान् श्री आदिनाथ की अतिशययुक्त प्रतिमा दर्शन करने से |
प्र .50: णमोकार मन्त्र में लोक के कौन से साधुओ को नमस्कार किया गया है ?
उ .50: जो विषयों की आशा आरम्भ और परिग्रह से रहित पञ्च महाव्रतधारी , नग्न दिगंबर , शौच , संयम के उपकरण पीछी और कमण्डलु ये युक्त होते है | मोक्ष की सच्ची साधना करने से जैन आगम के अनुसार उन्हें ही साधू कहा जाता है उन्हें ही णमोकार मन्त्र में नमस्कार किया गया है |